आचार्य श्री विद्या सागर जी
और आर्यिका माता श्री ज्ञानमती माता जी
दोनों हीसम्पर्ण जैन समाज के उच्च संत है
दोनों ने ही जैन धर्म की ध्वजा ऊंचाइयों तक फेराई है
दोनों का सम्पूर्ण परिवार धर्म मे लगा है
आचार्य श्री के ग्रहस्थ अवस्था के भाई मुनि योगसागर जी और मुनि समय सागरजी बहन शांता और स्वर्णा दीदी
तो ज्ञानमती माता जी के गृहस्थ जीवन की बहन माता चन्दना मती जी और भाई श्री रविन्द्र कीर्ति भट्टारक जी
आचार्य श्री ने कुण्डलपुर,रामटेक,अमर कन्टक , नेमावर,बीना बारहा आदि क्षेत्र का जिर्णोउद्धार कराया
माता जी ने हस्तनापुर, मांगी तुंगी, इलाहाबाद, आयोध्या,कुण्डलपुर (जन्मभूमि) आदि क्षेत्रो का जिर्णोउद्धार कराया
दोनों ने ही बाल्यावस्था में ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया
दोनों ने अपने अपने पद पर सर्वोच्चता प्राप्त की
गुरुवर ने अनेक ग्रन्थ और महाकाव्य लिखे
तो माता जी ने 200 से अधिकग्रन्थ और अनेक विधान और पूजाये लिखी
इस वर्ष शरद पूर्णिमा को माता ज्ञानमती जी को भारत गौरव सम्मान दिया जायेगा
जैन धर्म के ऐसे दो महान आधार स्तंभो को दोनों महान सन्तो को मेरा शत शत नमन🙏🏻