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✨💫 गुरू 💫✨
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मनुष्य लोहा है और सद्गुरू लोहार हैं। मनुष्य रूपी लोहे को गुरू रूपी लोहार जिज्ञासा रूपी आग में डालकर गर्म करते हैं।जब वह लोहा एकदम लाल हो जाता है तो लोहार उसे ज्ञानरूपी निहाई के ऊपर रखकर सत्संगरूपी हथौडे से मारना शुरू करता है।
लोहा भी ऐसा कि ठंडा होकर अकडने लगता है।इसलिए कुशल लोहार चाहिये, जो तुरंत फिर उसे आग में रखे और गर्म करे।वह गर्म करता रहे,उसे आग से निकालकर, ज्ञानरूपी निहाई पर रखकर
सत्संगरूपी हथौडे से मारता रहे, जब तक वह लोहा बदल न जाए।जब वह बदल जाएगा तो वह सिर्फ लोहे का टुकडा नहीं रहेगा।उसका नाम बदल जाएगा।उसे जैसा आकार मिला है वह उसी आकार का कहलाएगा।अगर चाबी बन गया है,तो अब लोहे का टुकडा नहीं बल्कि "चाबी" कहलाएगा।जब मनुष्य बदलता है तो उसका नाम क्या हो जाता है ? वह है असली मनुष्य।
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हमें भी अपने जीवन में ऐसा सच्चा गुरू चाहिये जो हमारे लोहे जैसे जीवन को सोने में बदल दे। सच्चा गुरू लोहे रूपी मनुष्य को स्वर्ण बनाकर उसे दिव्य गुणों से ओत- प्रोत कर देते हैं।लोहे से स्वर्ण बनने के लिये ज्ञान ही एक ऐसी विधि है।ज्ञान है अपने आप को जानना।सच्ची जिज्ञासा भी होना जरूरी है कि " मैं कौन हूँ "? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है ? परमपिता परमात्मा तक कैसे पहुँचें ? यह सब एक सच्चा गुरू ही बता सकता है।
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👏 जय गुरूदेव 👏
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