तीर्थंकर माता के 16 स्वप्न

चौदहवें कुलकर महाराज नाभिराय की महारानी मरुदेवी अपने शयनागार में सुखपूर्वक सोयी हुई थीं कि उन्होंने "जिनेन्द्र के अवतार सूचक" रात्रि के पिछले पहर में अत्यंत हर्षदायक सोलह स्वप्न देखे !

जब मरुदेवी स्वप्नों का अर्थ पूछती हैं तब महाराज नाभिराय कहते हैं, हे देवी ! इन शुभ स्वप्नों से सूचित होता है कि तुम्हारे गर्भ में तीर्थंकर अवतार लेंगे !

-महाराज द्वारा बतलाये इन शुभ स्वप्नों के अर्थ इस प्रकार जानने चाहिएं :-

१- ऐरावत हाथी :- सर्वौच्च माननीय उत्तम पुत्र होगा !

२- सिंह :- अनंत बल का धारक होगा !

३- स्वेत बैल :- वह समस्त लोक में ज्येष्ठ होगा !

४- लक्ष्मी :- सुमेरु पर्वत के मस्तक पर देवों द्वारा अभिषेक को प्राप्त होगा !

५- उदय होता हुआ सूर्य :- देदीप्यमान प्रभा का धारक होगा !

६- चन्द्रमा :- लोगों का संताप हर्ता एवं आनंद देने वाला होगा !

७- किलोल करता मछली युगल :- परम सुखी होगा !

८- कलश युगल :- अनेक निधियों को प्राप्त करेगा !

९- सरोवर :- अनेक लक्षणों से सुशोभित होगा !

१०- शांत समुद्र :- केवली होगा !

११- दो पुष्प मालाएं :- समीचीन धर्म का प्रवर्तक होगा !

१२- सिंहासन :- जगद्गुरु होकर साम्राज्य करेगा !

१३- रत्न राशि :- गुणों की खान होगा !

१४- देवों का विमान :- स्वर्ग से अवतीर्ण होगा !

१५- नागेन्द्र का भवन :- अवधिज्ञान से युक्त होगा !

१६- निर्धूम/अग्नि :- कर्मरूपी ईंधन को जलाने वाला होगा !

- महारानी त्रैलोक्य नाथ की उत्पत्ति अपने पति से सुन परम हर्षित होती हुई अपने महल चली जाती हैं !
और कुछ समय पश्चात "आषाढ़ कृष्ण द्वितिया" को "सर्वार्थ सिद्धि" से चयकर तीन ज्ञान संयुक्त भगवान मरुदेवी के गर्भ में आ विराजते हैं !