सवाल :- जैन मंदिर में मोर का ही पंख क्यों लगाया जाता है ?

जबाब :- मोर ही अकेला एक ऐसा प्राणी है जो ब्रह्मचर्य को धारण करता है ।
जब मोर प्रसन्न होता है तो वह अपने पंखो को फैला कर नाचता है और जब नाचते-नाचते मस्त हो जाता है तो उसकी आँखों से आँसू गिरते है ।
और मोरनी इन आँसू को पीती है और इससे ही वह गर्भ धारण करती है ।
मोर में कही भी वासना का लेश भी नही है और जिसके जीवन में वासना नहीं ,
भगवान उसे अपने शीश पर धारण कर लेते है...॥

जिनको नहीं पता है कि अपनेजैन  मंदिर  में मोर के पंखों की बनी पिच्छी क्यों होती है , उन्हें इस मेसेज को जरुर पढ़ाएं और अपने परिवार , दोस्तों को भी पढ़ने को दें ।।
🙏 jai jinendra.