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*👉🏿धर्म👈🏿*
धर्म धारण करता है अर्थात अस्तित्व और आदर्श की रक्षाकर अधोगति से बचाता है , इसलिए उसे धर्म कहा गया है | धर्म ने ही सारी प्रजा को धारण कर रक्खा है | अतः जिससे धारण और पोषण सिद्ध होता हो वही धर्म है |
प्राणियों की हिंसा न हो , इसके लिए धर्म का उपदेश किया गया है , अतः जो अहिंसा युक्त हो , वही धर्म है |
धर्म - शब्द क्रियात्मक है और आचरण में ही प्रयुक्त होने वाला कहा गया है |
अहिंसा , सत्य , अक्रोध और दान - इन चारों का सदा सेवन करें , यह सनातन धर्म है | é
2;िससे अभ्युदय और निः क्षेयस की सिद्धि हो , वह धर्म है |
जैसे अग्नि के प्रकाश की गति ऊपर को जाती है वैसे ही धर्म का स्त्रोत उधर्वगामी है और जिस प्रकार मिट्टी के ढेले का गमन सर्वदा नीचे को है | उसी प्रकार अधर्म की गति अधः पतनशालिनी होती है |
धर्म का अनुष्ठान हमको सुख स्वतंत्रता देता हुआ हमारी उन्नति करता है |यह धर्म ही तीनों कामों की पूर्ति कर सकता है धर्म को छोड़कर अन्य कोई दूसरा उपाय ही भूतल पर ऐसा नहीं है जो मनुष्य को स्वतंत्रता देता हुआ अन्त में उत्तम गति और इसके पश्चात् मोक्ष्य दे दे ।
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