एक दिन में जितने क्षण होते हैं उतने ही विचार पैदा होते है। अच्छे और बुरे भी, इष्ट और अनिष्ट भी। सब विचारों को हम पकड नहीं पाते। यदि एक दिन में किसी एक विचार को पकड़े और उस पर केन्द्रित होकर एकाग्र बनें तो वह विचार वरदान बन सकता है।
- - आचार्य महाप्रज्ञ