श्रमण श्री विभंजनसागर जी मुनिराज के मंगल प्रवचन 10-03-2018 दिन- शनिवार
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अपने अतीत और औकात को सदा याद रखना चाहिए.......🍃
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, अशोकनगर (म. प्र.) में श्रमण श्री विभंजनसागर जी मुनिराज ने आज मान कषाय के ऊपर प्रवचन देते हुए बताया कि आगम में आठ प्रकार के मद बताये ज्ञे है। मान कहो या अभिमान ,घमण्ड कहो या गर्व या फिर मद ,ईगो कुछ भी कहो सब पर्यायवाची शब्द आते है। चार कषाय होती है क्रोध ,मान, माया, लोभ ।मनुष्यो में मान कषाय बहुत अधिक पाई जाती है। उस मद के आठ भेद आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने रत्नकरण्ड श्रावकाचार में कही है। ज्ञान का मद, पूजा प्रतिष्ठा का मद , जाती का मद ,कुल का मद, बल का मद, ऋद्धि का मद, तप का मद और शरीर का मद ये आठ प्रकार के मद में से किसी ह् किसी प्रकार का मद सभी के पास पाया जाता है। वो विरले ही लोग होते है जो आठ प्रकार के मदो से रहित होते है। सम्यग्दर्शन प्राप्त करने के लिए आठ शंकादि दोष, आठ मद,  छः अनायत्न और तीन मूढ़ता इन पच्चीस दोषो से रहित और आठ अंगों से सहित जो श्रद्धान है वही सम्यग्दर्शन कहलाता है। वर्तमान में विरले ही लोग है जिनके पास ऐसा सम्यग्दर्शन प्राप्त हो।
🍃मुनिराज ने बताया अहंकार निश्चय से लोगो का नाश करने वाला है। उससे उन्नति नहीं होती है ।जैसे जब दीपक बुझने लगता है तब उसकी लौ बढ़ जाती है। अर्थात जिसका पतन होने लगता है, जिसकी अविरति निश्चित है वह व्यक्ति बड़ा मानी, घमण्डी ,अभिमानी हो जाता है।
🍁मुनिश्री ने बताया मान कषाय से बचने के लिए दो बातों को याद रखना-
1. मुड़ -मुड़ के चलन ,और
2. छुप- छुप कर चलना ।
जिस प्रकार गाय घर से निकलती है,  गाय अपने बछड़े को देखकर रम्भा जाती है। मुड़- मुड़ कर देखती है ,थोड़ा चलेगी, फिर रुकेगी फिर पीछे मुड़कर देखती है और अपने बछड़े को याद कर के रम्भा जाती है। उसी प्रकार हम भी मुड़- मुड़ कर चले ।भगवान के दर्शन ,पूजन आदि करके जब निकलते है तो दिन भर में कोई भी क्रिया हो उससे वह पञ्च परमेष्ठि का नाम ,भगवान का नाम स्मरण करते रहना चाहिए ।चाहे वह ऊँ नमः कहे, ऊँ नमः सिधेभ्यः कहे या अकेला ऊँ बोले ।परमेष्ठि वाचक मंत्र को स्मरण करते रहना चाहिए ।आचार्यो ने कहा है चाहे आप पवित्र हो, चाहे आप अपवित्र हो, आप स्थित हो या अस्थित हो हर स्थिति में पंच नमस्कार मंत्र का स्मरण करना चाहिए जो सभी पापो का शमन करने वाला होता है ।ऐसे उस मंत्र को आप कहीँ भी किसी भी स्थिति में स्मरण कर सकते है ।बस थोड़ा विवेक लगाना अशुद्ध स्थान है तो मन में करना, शुद्ध स्थान है तो उच्चारण से आप वाचन कर सकते है।
🍃मुनिश्री ने बताया हमारे जितने भाव शुद्ध होते है उतने ही हमारा धार्मिक क्रियाओं में मन लगता है। जब आप घर में चप्पल पहनकर फ़िल्मी गाना बजाते हुए भोजन बनाते है तो उसका वैसा असर आपके परिवार जन पर पड़ता है और यदि वही भोजन भगवान का नाम लेकर, प्रभु पतित पावन विनती पढ़ते हुए, मेरी भावना, बारह भावना, दर्शन पाठ पढ़ते हुए, छः ढाला पढ़ते हुए भगवान का भक्तामर स्त्रोत पढ़ते हुए बनाया जाये तो उस खाने में मसाले के साथ -साथ अपने विशुद्धि रूपी भाव भी डाले जाते है। जिसका प्रभाव आपके परिवार जन पर पड़ता है इसलिए हर पल, हर क्षण भगवान को याद करते रहना चाहिए ,स्मरण करते रहना चाहिए। मुड़ -मुड़ कर देखते रहना चाहिए।
🍁मुनिश्री ने बताया दूसरी बात याद रखे झुक -झुक के चलना।जो व्यक्ति झुक- झुक कर जीता है वह ज्यादा जीता है ।पहले आदमियों से ज्यादा औरतों की उम्र होती थी क्योकि बो हर काम झुक- झुक कर  करती थी। झुकने से अहंकार गिर जाता है तभी जीवन में सरलता आती है ।आपने देखा होगा पहले की महिलाएं आटा पीसती तो हाँथ से आटा पीसती ,झाड़ू लगाती तो झुक के झाड़ू लगाती , कपड़े धोती, बर्तन धोती तो झुक कर धोती, खाना बनाती तो बैठ कर बनाती ।हर काम झुक -झुक कर करती थी इसलिए उन्हें कोई योग करने की आवश्यकता नहीं होती थी। आज घर के सारे काम  नौकर करते है यही कारण है कि आज आपको अलग से एक घण्टा योगा करना पड़ता है। अनलोम, विलोम क्या है? जिनागम में बताये हुए स्वछ्वास विधि से णमोकार मंत्र का जाप कर ले अनलोम विलोम करने की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। अपने घर के काम अपने हाँथो से करना प्रारम्भ कर दे आपको न चक्रशन के आवश्यकता, न वज्राशन की आवश्यकता ,किसी योगा की कोई जरूरत ही नहीं पड़ेगी वस अपना काम स्वयं कर ले। एक बात याद रखना आप कोई भी काम नौकरों से करवा लेना लेकिन खाना बनाते का काम कभी नौकरों से नहीं करवाना क्योकि उनकी विशुद्धि नहीं रहती है। एक भोजन ही ऐसा है जिससे अपने भावो से विशुद्धि पूर्वक आप बनाकर अपने परिवार जन को खिलाते है तो उनके भाव पवित्र हो जाते है। भोजन कभी नौकरों से नहीं बनवाना चाहिए अपने हाँथो से अपने भावो से विशुद्धि पूर्वक बनाकर ही परिवार जन को खिलाना चाहिए।
🍃मुनिश्री ने बताया जीवन में झुकना सीख लिया तो मान कषाय अपने आप खत्म हो जायेगी इसलिये 24 घण्टे में एक बार कम से कम झाड़ू अवश्य लगाना चाहिए। झाड़ू लगाने से व्यक्ति का मान खण्डित होता है। उसे झुकना पड़ता है ।परमात्मा कभी लड़ने ,झगड़ने, अकड़ने में नहीं मिलते अपितु अपने आप में सिकुड़ने से मिलते है। आकड़ो मत अकड़ तो मुर्दो की पहचान होती है और जो जिन्दा आदमी अकड़ता है वह चलता फिरता मुर्दे के समान ही है ।किस पर अकड़? किस बात की अकड़? कहा गया है "आँख खुली तो सपना गया, आँख मिची तो अपना गया ;कुछ पल का महमान है तू, सांस रुकी तो दफना गया" सब कुछ यही पड़ा रहा जायेगा।
🍃मुनिश्री ने बताया एक गुब्बारे के अन्दर जब गैस की हवा भरी रहती है तो वह आसमान से बाते करने लगता है लेकिन जब हवा निकलती है तो नीचे जमीन पर आकर गिरता है। चील ,वाज सबसे ऊपर उड़ता है लेकिन जब मरता है तो जमीन में आकर गिरता है ।उसी प्रकार एक फुटबॉल में जब अहंकार की हवा भरी होती है तो इतनी टाइट हवा भरी रहती है कि उसको कही से भी दवाओं वह दबती नहीं है इस कारण उसमे 22 खिलाडी लात मारते है जिसके पैरों में जाती है वही से लात खाती है लेकिन जब हवा निकल जाती है तो उसको हाँथो में उठा कर कोच को दे दिया जाता है। कहने का मतलब जब तक हमारे जीवन मान की ,कषाय की हवा भरी हुई है हमे भी चारों गतियों में दुःखो को भोगना पड़ेगा और जब हमारी मान की हवा निकल जाएगी तो हम भी सिद्धालय में जाकर विराजमान हो जायेंगे। अपने अंदर से अहंकार को दूर करें।
🍃मुनिश्री ने बताया पूज्य आचार्य शांतिसागर जी मुनिराज कभी किसी को तुम कहकर संबोधित नहीं करते थे ,वह सभी से आप कहकर बात करते थे। महाभारत में लिखा है कि किसी को तुम कह देना उसका बध करने से समान है। हम जिसको जैसा सम्मान देते है वैसा ही सम्मान हमें मिलता है।
🍁मुनिश्री ने बताया अहंकार से बचने के लिए और 2 बाते याद रखो और 2 बाते भूल जाओ। याद रखने के लिए -
1. अपने अतीत और औकात को हमेशा याद रखना, और
2. अपनी मौत को हमेशा याद रखना।
🍃मुनिश्री ने बताया जो अपनी मौत को याद रखता है वह व्यक्ति कभी अभिमान नहीं करता, वह धन, दौलत ,पैसा आने पर भगवान को भूल जाता है, मौत को भूल जाता है और कषाय करने लगता है, व्यशन करने लगता है, पाप करने लगता है ,कर्मो का आश्रय करने लगता है इसलिए मौत को हमेशा याद रखना ।जिसका जन्म हुआ है उसका मरना भी निश्चित है। जीवन में आपके साथ जिस चीज का भी सहयोग हुआ है उसका वियोग होना निश्चित है। ये जीवन का कटु सत्य है ,इसको जीवन में उतारने का प्रयाश करे और हाँ अपने अतीत और औकात को हमेशा याद रखना। आप पहले क्या थे , क्या आपकी हैशियत थी, आज आपके पास भले ही पैसा हो गया हो, बंगला बन गया हो, बड़ी दूकान ,गाड़ी सब कुछ है आपके पास लेकिन पुराने दिनों को कभी नहीं भूलना ।जब आपके पास कुछ भी नहीं था अगर आप पुराने दिनों को याद रखेंगे तो आपके अंदर मान कषाय नहीं आएगी ।उस मान कषाय से बचने के लिए आपको अपने अतीत और औकात को हमेशा याद रखने की आवश्यकता है।
🍁मुनिश्री ने कहा भूलने बलि दो बातें वो आपको कल बताएंगे ।कि जीवन में कौन सी बातें भूल जानी चाहिए जिससे हम मान कषाय से बचने लगते है।
🍃संचालक जी ने बताया मुनिश्री के सांन्निध्य में रविवार प्रातः सात बजे से आदिनाथ भगवान का 108 कलशों से महामस्तकाभिषेक, बृहद शांतिधारा,प्रवचन,आहारचर्या होगी  और शाम छः बजे से भगवान का पालना झुलाया जाएगा और 108 दीपको से महाआरती के पश्चात भक्तामर जी का एक घण्टे का पाठ किया जायेगा। आप भी आएं।🍃🍃🍃