इस पर्वत पर , सौधर्म इंद्र के द्वारा निर्मित - अकृत्रिम चैत्यालय है । व सदैव बर्फ से आच्छादित रहते है। . इस पंचम काल में - किसी को भी - इसके दर्शन करना ना मुमकिन है
जैन शास्त्रानुसार, इस पंचमकाल में ,इस पर्वत पर जाना ना मुमकिन है - लेकिन इस पर्वत की परिक्रमा - वन्दना करना मुमकिन है
इस के पूर्व में - इस पर्वत की तलहटी तक पहुँचने के लिए ३० - से ४० दिन की पैदल यात्रा करनी पड़ती थी , और तो और - ज़िंदा वापिस आनेकी कोई गारंटी नहीं थी
लेकिन , मोदी सरकार ने - चीनी सरकार के सहयोगसे - भारत से लेकर , इस तिब्बत स्थित पर्वत की तलहट्टी तक तार रॉड बनाया है , और अब, आज की तारीख में - इस निर्वाणभूमी की यात्रा , कार - बस से कर सकते है - वह भी - २ से ३ दिन के अंदर।
आज तक, सभी जैन श्रावक - २३ तीर्थंकरो की वंदना आराम से कर सकते थे - जैसे की - सम्मेदशिखरजी,चंपापुर,पावापुरीजी , गिरनारजी।
लेकिन आज हम सभी के सभी २४ तिर्थंकरों की निर्वाण भूमि की यात्रा आराम से कर सकते है|

