यह है अतिशय क्षेत्र कचनेर जी में विराजित भगवान पार्श्वनाथ की वह प्रतिमा जिसके बारे में बताया जाता है कि बहुत समय पहले किसी के द्वारा अशुद्धि में दर्शन किये जाने पर यह प्रतिमा स्वत: ही आगे को गिर कर खंडित हो गयी तथा सिर अलग हो गया था। जिसे मुनियों द्वारा बताए जाने पर घी-बूरा में दबाकर आठ दिन तक रखा गया तथा इसके बाद प्रतिमा पूर्ण रूप से जुड़कर स्वत: ही प्रकट हो गयी थी।
आज भी प्रतिमा पर गर्दन के पास टूटने के निशान मौजूद हैं।