जन्म के 10 अतिशय -----
अतिशय रूप सुगंध तन , नाहि पसेव निहार !
प्रिय हित वचन अतुल्य बल , रुधिर श्वेत आकार !!
लक्षण सह्सरू आठ तन , समचतुषक संठान !
वज्रऋषभनाराचजुत, ये जनमत दस जान !!
कल हमने "वज्रऋषभनाराचजुत संहनन" पढ़ा,आज "समचतुषक संठान" ... ये इसलिए क्यूंकि इनका सम्बद्ध शरीर वाले विषय से ही है :-
सर्वार्थसिद्धि में लिखा हैं कि,
- नामकर्म के जिस भेद से शरीर को आकार/आकृति/शेप मिलती है, उसे शरीरसंस्थाननामकर्म कहते हैं !
संस्थान माने शरीर का आकार या आकृति ...
संस्थान के भी 6 भेद हैं :-
१ - समचतुर/समचतुस्त्र शरीर संस्थान,
२ - न्यग्रोध परिमंडल संस्थान,
३ - स्वाति संस्थान,
४ - वामन संस्थान,
५ - कुब्जक संस्थान, और
६ - हुन्डक संस्थान ...
- इनमे से पहला वाला, समचतुस्त्र संस्थान शलाकापुरुषों के होता है ! चतुर माने शोभन ... इस संस्थान में शरीर ऊपर,नीचे और मध्य से सामान आकार वाला होता है, मानो किसी शिल्पी से रचना की हो !!!
- बड़ के पेड़ को न्यग्रोध कहते हैं, जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर ऊपर से मोटा और नीचे से बेहद पतला होता है !
- स्वाति माने सांप कि बांबी, इसमें जीव का शरीर ऊपर से पतला नीचे से मोटा होता है !
- वामन, इस संस्थान वाले लोग , नाटे या बौने होते हैं !
- कुब्जक, शरीर में कूब/कूबड़ का होना !
- हुन्डक, इस संस्थान वालों का शरीर विषम/बेडौल आकृति वाला होता है,
नारकियों के हुन्डक संस्थान होता है !!!
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