उत्तम मार्दव पर पूज्य गुरुदेव अमित सागर के प्रवचन से कुछ अंश:-

मान औरों को झुकाना चाहता है, स्वयं झुकना नही चाहता। अच्छी बात को भी स्वीकार न करना मान की निशानी है। अपने मान का मर्दन करना मार्दव है। उत्तम क्षमा धर्म का महत्वपूर्ण अंग है, परन्तु संपूर्ण धर्म नही है। आपको क्रोध न करने का भी मान हो सकता है। प्रशंसा के दो शब्द सुनने को हमारे कान आतुर रहते है, और निन्दा के दो शब्द हमें सहन नही होते। मान जितना कम होता है, नाम उतना ऊँचा होता है। अच्छा कार्य स्वयं मे प्रशंसनीय होता है, उसे किसी अन्य की प्रशंसा की आवश्यकता नही होती।

उत्तम मार्दव धर्म की जय ।

गुरूदेव अमित सागर जी को कोटि- कोटि नमन