चालीसा, विंतरदेवाण होंति बत्तीसा !
कप्पामर चउवीसा, चंदो-सूरो णओ तिरिओ !!
भवनवासी के चालीस इंद्र, व्यंतर देवों के बत्तीस, कल्पवासियों के चौविस, ज्योतिषियों के दो (चन्द्र और सूर्य), मनुष्यों का एक इंद्र (चक्रवर्ती) तथा पशुओं का एक इंद्र (सिंह) 40 + 32 + 24 + 2 + 1 + 1 = 100
इन 100 इन्द्रों के द्वारा परम वंदनीय जिन-भगवान् की मै भी उन्ही जैसा बनने के लिए वंदना करता हूँ !!!