सिद्ध क्षत्र बावनगजा/चुलगिरी -भगवान् आदिनाथ जी 84 फीट ! -इस सिद्ध क्षेत्र से रावण का भाई कुम्भकर्ण और रावण के पुत्र मेघनाद को यहां मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। रावण की पटरानी मंदोदरी ने अस्सी हजार विद्याधारियों के साथ यहीं आर्यिका दीक्षा ग्रहण की थी। [ यहां एक मंदोदरी प्रासाद भी है। इस जैन मंदिर में जैन प्रतिमाएं हैं। कहा जाता है कि रावण की पटरानी मंदोदरी ने इस जगह में आकर तपस्या की थी। ] मध्यप्रदेश के बड़वानी शहर से 8 किमी दूर स्थित इस पवित्र स्थल में जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेवजी (आदिनाथ) की 84 फुट ऊँची उत्तुंग प्रतिमा है। सतपुड़ा की मनोरम पहाडि़यों में स्थित यह प्रतिमा भूरे रंग की है और एक ही पत्थर को तराशकर बनाई गई है। सैकड़ों वर्षों से यह दिव्य प्रतिमा अहिंसा और आपसी सद्भाव का संदेश देती आ रही है।