*दस लक्षण पर्व कल से प्रारम्भ हो रहा है*
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*मन्दिर में कुछ सावधानियाँ अपनाएँ 🌹*

🌹मन्दिर में भगवान की अविनय नहीं करना।

🌹मन्दिर में भगवान की ओर पैर करके नहीं बैठना।

🌹मन्दिर में भगवान की ओर पीठ करके नहीं बैठना।

🌹मन्दिर में भगवान की बराबरी से नहीं बैठना।

🌹मन्दिर में देव-दर्शन के समय वेदी से टिक कर खड़े नहीं होना।

🌹भगवान के ऊपर यदि शिखर न हो तो वहाँ से नहीं निकलना।

🌹भगवान को बिना सोले के अशुद्ध वस्त्र में कोई भी पुरुष नहीं छूएं।

🌹मन्दिर मे किसी की निन्दा नहीं करना।

🌹मन्दिर में गृहस्थी की चर्चा नहीं करना।

🌹मन्दिर में हँसी मजाक नहीं करना।

🌹मन्दिर में कषाय (क्रोध मान माया लोभ) नहीं करना।

🌹मंदिर में किसी भी कारण वश राग द्वेष, लड़ाई, झगड़ा नहीं करना, असुविधा में भी समता भाव रखना।

🌹मन्दिर के शुद्ध वस्त्रों को पहनकर ही आना। 

🌹मन्दिर में ट्यूबलाइट, पंखा, AC,  आदि का व्यर्थ प्रयोग नहीं करना।

🌹मन्दिर में जूठा मुँह लेकर नहीं जाना। कुल्ला करके जाना।

🌹मन्दिर में हाथ-पैर धो कर जाना/मोज़े पहन कर नहीं जाना।

🌹मन्दिर की छत और शिखरों पर चप्पल-जूते आदि नहीं ले जाना।

🌹मन्दिर में चमडे / सिल्क / लाख आदि से बनी वस्तुएं नहीं ले जाना।

🌹मन्दिर में किसी को व्यवधान नहीं पहुँचाना/जोर से पूजा, आरती, स्तोत्र, आदि नहीं पढ़ना अन्तराय कर्म का बन्ध होता है।

🌹पूजा करते समय हाथों से अथवा चमचे / बर्तनों से टेबल, चौकी, पाटे, आदि पर नहीं बजाना। जोर से तालियां आदि नहीं बजाना। दूसरों की पूजा में व्यवधान करने से अन्तराय कर्म का बन्ध होता है।

🌹स्वयं को सुनाई दे उतनी आवाज में पूजा करना भगवान सर्वज्ञ है आपके भावों को समझते हैं।

🌹मन्दिर में छोटे / भडकीले /tight / काले वस्त्र पहनकर नहीं आना।

🌹मन्दिर में अव्यवस्था नहीं फैलाना।

🌹शास्त्रों के पन्ने अच्छे से पलटना / थूक से पन्ने नहीं पलटना / पूजा की किताबों में चावल नहीं छोड़ना।

🌹गन्धोदक एक बार लेना उसमें दोबारा हाथ नहीं डालना अथवा चम्मच से लेना।

🌹मन्दिर में शास्त्र आदि रखने की चौरंग (पाटा, बाजोटा) को नहीं लांघना।

🌹मन्दिर में हिंसक श्रृंगार सामग्री जैसे लिपस्टिक, नेलपॉलिश, आदि नहीं लगाना।

🌹मन्दिर में छोटे बच्चों की अशुद्धि न होने देना। diaper आदि में भी बच्चों द्वारा अशुद्धि हो तो तुरंत मंदिर से बाहर ले जाना।

🌹मन्दिर में बच्चों को खेलने या दौडने से रोकना।

🌹मंदिर में मोबाइल silent पर रखना और फोन आने पर मंदिर से बाहर जाके बात करना।

🌹मन्दिर में अपनी इच्छा अनुसार रोज दान अवश्य डालना।

🌹यदि आप मंदिर की द्रव्य सामग्री से पूजा करते हैं तो उचित दान दानपेटी में डालना
            
🌹मंदिर में राजनीति नहीं करना

🌹मंदिर परिसर में भोजन व्यवस्था की हो तो खाने के बाद मंदिर के परिसर में झूठी थाली, diposable glass, आदि का कचरा नहीं करना और मंदिर से बहुत नजदीक ऐसी खाने की व्यवस्था नहीं करना जहाँ से भगवान की दृष्टि आप पर पड़ती हो।

🌹दान के पैसों से समाज को भोजन नहीं कराना इसमें निर्माल्य खाने का दोष लगता है

🌹पूजा / स्वाध्याय होने के बाद जिनवाणी / शास्त्र, चौकी, चटाई, पूजा के बर्तन आदि उनके सही जगह पर वापस रखना।

🌹मंदिर में दूसरों द्वारा तैयार की गई सामग्री, चंदन, पानी, आदि दूसरों द्वारा लाई गई पूजन की पुस्तकें, चटाई, आदि बिना पूछे नहीं उठाना।

🌹मंदिर में सभी क्रियाएँ भावना पूर्वक करना क्योंकि
अगर भावना में भाव ना हो तो सब क्रिया बेकार है
और भावना सहित क्रिया से ही भव से बेड़ा पार है

*⛳जिनशासन जयवंत हो ⛳*