श्रमण श्री विभंजनसागर जी मुनिराज के मंगल प्रवचन 12-03-2018 दिन- सोमवार
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चर्चा और चर्या को ,कलम ओर कदम को ,कथनी और करनी को एक करना पड़ेगा.......🍃
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, अशोकनगर (म. प्रदेश) में श्रमण श्री विभंजनसागर जी मुनिराज ने आज जीवन को सरल ,सत्य और मृदु बनाने के लिए अपने प्रवचन के माध्यम से मुनिश्री ने बताया कि आगम में वर्णित है कि जिसके मन ,वचन और कर्म एक जैसे होते है वह महात्मा है। और जिसके मन मे कुछ है ,वचन में कुछ है, और कार्य मे कुछ है वह दुरात्मा है इसलिए अपने मन, वचन , काय को एक करने का प्रयाश करना चाहिए। जिसके मन, वचन ,काय एक होता है उसके जीवन में ही ऋजुता ,सरलता, और मुलायमपना आता है और आर्जव  धर्म अंगीकार होता है। कार्तिके अनुप्रेक्षा में स्वामी कार्तिके ने कहा है जो मन में कुटिल विचार नही करता, कुटिल कार्य नही करता, कुटिल बात नही बोलता तथा अपना दोष नही छिपाता उसके ही आर्जव धर्म होता है।
🍃मुनिश्री ने बताया अपने जीवन में सरल बनना चाहते हो  तो मायाचारी छोड़ो और कुछ सूत्र को अपने जीवन मे उतारो ।अपने जीवन में थोड़ा सा पागलपन ,थोड़ा सा भोलापन और थोड़ा सा अपनापन लाना है बस आपका जीवन सरल बन जायेगा। थोड़ा सा पागलपन, जैसे पागल व्यक्ति हुआ करता है वह अन्दर- बाहर एक जैसा हुआ करता है ।उसके मन में जो है वही क्रिया करता है। वह छल कपट, मायाचारी नही करता। आप भी भक्ति में पागल हो जाइए और में अक्सर कहता हूँ यदि भक्ति में कोई आपसे पागल कहने लगे तभी आप समझना सच्चे भक्त आप ही है। आपने देखा होगा भक्ति में यदि किसी का नाम प्रसिद्ध हुआ जो गिरधर गोपाल, गिरधर गोपाल ही जप्ती रहती थी। भक्ति में नाम प्रशिद्ध हुआ तो सबरी का हुआ जो कहती थी राम मेरे घर आयेंगे, राम मेरी कुटिया में आयेंगे ओर उसकी भक्ति ने राम को भी अपनी कुटिया में बुला लिया। लोग भले ही पागल कहते थे लेकिन उसे विश्वाश था ।उसी प्रकार चंदनबाला की भक्ति में इतनी शक्ति थी कि महावीर को पड़गाहन करके आहार दे दिया। जब लोग आपसे भकयी में पागल कहने लगे तभी आप सच्चे भक्त कहलाने के अधिकारी है। भगवान की भक्ति करते समय एक बात याद रखना -या तो आप भक्ति कर सकते है या लज्जा दो में से एक ही हो सकता है ।जिस व्यक्ति को लज्जा आती है वो भक्ति नही कर सकता और जिसको भक्ति करनी है उसको कभी लज्जा नही आती ,शर्म नही आती ।भगवान की भक्ति करते समय निश्चल भावना से भक्ति करना चाहिए। भक्ति में डूब जाओ ,थोड़ा सा पागलपन अपने जीवन मे लाओ और थोड़ा सा भोलापन ।जब बच्चे में थप्पड़ मारो तो वह रोने लगता है लेकिन उसके सामने कुछ ही क्षण में चुटकी बजाना प्रारम्भ कर दो तो बच्चा हँसने लगता है ।उसका मन मे ,वचन में, काय में तीनों में एक पना है उसी प्रकार जीवन मे थोड़ा अपनापन भी लाइये। व्यक्ति दुसरो से क्षल, कपट करता है अपनो से कभी क्षल कपट नही करता क्योकि भावना होती है, अपने ही तो है इसलिए थोड़ा सा अपनापन भी लाने की आवश्यकता है ,तभी हमारा जीवन सरल बन सकता है। एक बार मैंने गुरु भक्ति में प्रश्न किया कि- सबसे अधिक दूरी कहाँ से कहाँ तक है? तो किसी ने  कहा घर से स्टेण्ड तक ,तो किसी ने कहा घर से स्टेशन, किसी ने घर से एयरपोर्ट  ,किसी ने कश्मीर से कन्याकुमारी ,कीसी ने जमीन से आसमान आदि- आदि बहुत से उत्तर दिए लेकिन बो सबके उत्तर  गलत थे क्योंकि हमारे जीवन मे यदि सबसे अधिक दूरी है तो वह है कथनी से करनी तक कि दूरी। जो मजबूती में जीते है उनकी ही कथनी करनी एक होती है ।
💐मुनिश्री ने बताया यदि नर से नारायण की यात्रा करना है ,भील से भगवान की यात्रा करना चाहते हो तो कथनी करनी को एक करना पड़ेगा, चर्चा और चर्या को एक करना पड़ेगा, कलम और कदल को एक करना पड़ेगा ,मुख और मन को एक करना पड़ेगा, दिल और दिमाग को एक करना पड़ेगा ,उच्चारण और आचरण को एक करना पड़ेगा, जीवन और  जगत को एक करना पड़ेगा  जिस दिन ये एक हो जायेंगे उस दिन हमारा पूजन पाठ करना, विधान करना, गुरुओं की वाणी सुनना सब सार्थक हो जायेगा। जिसकी चर्या और चर्चा में अन्तर है वह श्रावक नहीं वह तो व्यंतर है ।
🍃मुनिश्री ने बताया हम केवल पढ़ते ही है - 'मन में हो सो वचन उच्चरिये, वचन होये सो तन सो करिये ' हमारे मन, वचन ,काय अलग -अलग है इसी कारण तो चमत्कार नहीं हो पाते । हम भगवान की भक्ति करे तो मन, वचन, काय एक करके करे ।
💐मुनिश्री ने बताया आज का व्यक्ति तीन चीजो से दुखी है ।तीन चीजो के पीछे भागता है -प्रदर्शन ,प्रतिस्पर्धा और प्रतिष्ठा। दिखावे की जिंदगी जी रहा है। बाहर कुछ है और अंदर कुछ है। प्रतिस्पर्धा में लगा हुआ है ,कॉम्पिटिशन का जमाना है ।एक दूसरे को देखकर भागने में लगे है। इसलिए छल कपट करते रहते है और मान, सम्मान के कारण न जाने किस हद तक गिर जाते है। हम जैसे है वैसे बनने की कोशिश करे । एक फोटोग्राफर था जो फ़ोटो खींचता था ।उसके यहाँ एक व्यक्ति फोटो खिंचवाने आया तो उसने कहा- हमारे यहाँ तीन प्रकार की फोटो खिंचती है 5 रु बाली, 10 रु बाली, 15 रु बाली आपको कौनसी खिंचवानी है? तो ग्राहक ने पूछा कि इनमें अंतर क्या है? तो वह फोटोग्राफर कहता है -5 रु बाली फोटो जैसे आप हो वैसे ही रहोगे। ओर 10 रु बाली फोटो जैसे नही हो वैसे हो जाओगे और 15 रु बाली फोटो जैसे न तुम थे ,न कभी होगे वैसी फोटो खींच जाएगी। आज हर व्यक्ति यही चाहता है कि मैं जैसा नही हूँ और न कभी हो पाउँगा मैं वैसा दिखूं ।दिखाने की जिंदगी जी रहा है ।
💐मुनिश्री ने बताया साँप कितना भी टेड़ा, मेड़ा चल ले लेकिन जब बिल में जाता है तो सीधा होना ही पड़ता है। उसी प्रकार हम अपना जीवन कैसा ही जी ले लेकिन जब मोक्ष जाना है तो सीधे होना ही पड़ेगा। जो वृक्ष टेड़े होते है उन्हें काट कर चूल्हे में जलाया जाता है और जो सीधे होते है उनके फर्नीचर बनाये जाते है। उसी प्रकार जो टेड़े व्यक्ति है उनको नरक का चूल्हा मिलता है और सीधे व्यक्तियों को सिद्ध शिला का शो पीस बनाया जाता है। सरल बनने का प्रयाश कीजिये।
🍃मुनिश्री ने बताया आचार्य वादिराज ने 'छात्र चूड़ामणि' ग्रन्थ में कहा है कि संसार मे रहे और कहे कि हमने मायाचारी का त्याग कर दिया तो ऐसा कहना भी मायाचारी है। आत्मा का स्वभाव सीधा है जबकि शरीर का स्वभाव टेड़ा है। हम सबके प्रति अच्छा सोचे जो व्यक्ति खजूर की तरह ऊपर से मृदु तथा अंदर से कठोर और छल युक्त होते है वे पशु गति का बन्ध करते है। साँप कांचली छोड़ देता है पर विष को नही छोड़ता है वैसे ही मायाचारी व्यक्ति अन्दर से कुछ और बाहर से कुछ और होते है। आपने देखा होगा मकड़ी दूसरे जीवो के लिए जाल बुनती है लेकिन वह स्वयं उसमे फस कर मर जाती है इसलिए हम सभी के बारे में अच्छा सोचे, अच्छा विचारें ,बगुले जैसा काम न करे। बगुला ऊपर से धवल दिखता है ,सुंदर दिखता है, एकाग्रता में तालाब किनारे खड़ा रहता है लेकिन अंदर उसके छल, कपट ,मायाचारी है।  शिकार करने की ताक लगाए बैठा है इसलिए उस पंक्ति को ध्यान में रखे कि 'मुँह में राम और बगल में छुरी' ऐसा काम न करते हुए मायाचारी का त्याग करें ।अपने जीवन में सरल बनने का प्रयाश करें और साथ ही लोभ कषाय का त्याग करें जो व्यक्ति लोभी होता है वह व्यक्ति सारे पाप करता है। केबल चर्म धुलने से कुछ नही होने बाला। अपने मन को धोने की आवश्यकता है ,परिणामों को ,निर्बलता को ही जैन धर्म कहा जाता है इसलिए चारो कषायों का त्याग करें और अपने जीवन को सफल बनायें।
🍃मुनि श्री का आज शाम 5 बजे अतिशय क्षेत्र बजरंग गढ़ की ओर मंगल विहार होगा। आज का रात्रि विश्राम एक फार्म हाउस में और कल की आहार चर्या शाडोरा में होगी।💐💐💐