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*भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण के 1300 वर्ष बाद तक दिगम्बर जैन मुनि परम्परा निर्बाध्य रूप से चलती रही लेकिन उसके बाद बीच में मुगल व विदेशी शासको के अत्याचारो से परम्परागत दिगम्बर मुनियो का अभाव सा हो गया*
*उसके बाद 19 वी शताब्दी में ऐसे महान भव्यात्माओ का जन्म होता हे जिससे 20 सदी के प्रारम्भ में ही दिगम्बर जैन मुनि परम्परा महान प्रभावना के साथ चमकने लग जाती हे*
*जिसके तीन भव्यप्रमुख प्रधान महामुनि हे*
इसमें सर्वप्रथम महामुनि

1.आचार्य देव श्री आदिसागर जी अंकलीकर महाराज
दीक्षा-1913
अंकलीकर परम्परा जनक

2.चारित्र चक्रवर्ती आचार्य देव श्री शान्तिसागर जी महाराज
दीक्षा-1920 चा.च.शान्तिसागर जी परम्परा जनक

3.आचार्य देव श्री शान्तिसागर जी छाणी वाले महाराज
दीक्षा-1923
शा.छाणी परम्परा जनक

इन तीनो महामुनियों के अतिशय से ही दिगम्बर जैन मुनियो की तीन परम्पराए महान रूप से विकसित हुई और इन्ही परम्पराओ के वर्तमान में लगभग 1500 से अधिक दिगम्बर जैन सन्त धर्म की गंगा बहा रहे हे
आइये इन परम्पराओ से दीक्षित महान आचार्यो को दीक्षा क्रमानुसार वन्दन करते हे -
4. आचार्य वीर सागर जी (चा.च.शा.परम्परा)
दीक्षा-1924
5.आचार्य श्री सूर्य सागर जी (छाणी परम्परा)
दीक्षा-1924
6.आचार्य श्री नेमिसागर जी (चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा -1924
7.आचार्य श्री पायसागर जी (चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-1929
8.आचार्य श्री जयकीर्ति जी (चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-
9.राष्ट्रगौरव आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज (चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-1936,
आचार्य सुधर्म सागर जी,
आचार्य चन्द्र सागर जी

10.आचार्य श्री शिवसागर जी महाराज (चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-1941
11.तीर्थभक्त शिरोमणि आचार्य श्री महावीरकीर्ति जी महाराज(अंकलीकर परम्प)
दीक्षा-1943
12.आचार्य श्री विमल सागर जी भिण्ड वाले(छाणी परम्प)
दीक्षा-1943
13.आचार्य श्री धर्मसागर जी महाराज(चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-1951
14.वात्सल्यरत्नाकर आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज(अंकलीकर परम्प)
दीक्षा-1952
15.आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज(चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-1959
16.आचार्य श्री अजितसागर जी महाराज(चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-1961
17.तपस्वी सम्राट आचार्य श्री सन्मतिसागर जी महाराज(अंकलीकर परम्प)
दीक्षा-1962
ये वो महान आचार्य हे जिनकी समाधि हो चुकी हे
उपरोक्त ये 20 सदी के प्रथम दशक से लेकर छठे तक दीक्षित महान आचार्य हे इस काल में ओर कई महान आचार्य हुए हे किन्तु दिक्षकाल ज्ञात नही होने से यहा उनका विवरण उपलब्ध नही हो सका

18.श्वेतपिच्छाचार्य श्री विद्यानन्दी जी महाराज (चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-1963
कुंदकुंद भारती दिल्ली में विराजित हे वर्तमान में विराजित  दिगम्बर जैन सन्तो में ये ऐसे बड़े महाज्ञानी सन्त हे जिनका दीक्षाकाल सबसे अधिक है इनकी संयम की साधना आजादी के पूर्व से शुरू हे 1946 में इन्होंने आचार्य महावीरकीर्ति जी से क्षुल्लक दीक्षा ली

19.गणधराचार्य श्री कुन्थुसागर जी महाराज(अंकलीकर परम्प)
दीक्षा-1967
कुंथुगिरी में विराजित हे
20.स्थवीराचार्य श्री सम्भव सागर जी महाराज(अंकलीकर परम्प)
दीक्षा-1967
सम्मेद शिखर जी में विराजमान हे
21.गिरनार गौरव आचार्य श्री निर्मल सागर जी महाराज(छाणी परम्प)
दीक्षा-1967
गिरनार में विराजित
22.संतशिरोमणी आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज(चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-1968
मध्यप्रदेश में विराजित
23.वात्सल्य वारिधि आचार्य श्री वर्धमान सागर जी महाराज(चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा-1969
एवम समाधिस्थ आचार्य श्री अभिनन्दन सागर जी महाराज(चा च शा परम्प),आचार्य श्री सुमतिसागर जी महाराज (छाणी परम्प),प्रवर्तकाचार्य श्री नेमी सागर जी महाराज(अंकलीकर परम्प),आचार्य श्री बाहुबली सागर जी ,मर्यादाशिष्योत्तम आचार्य श्री भरत सागर जी महाराज(अंकलीकर परम्प),आचार्य श्री सुबल सागर जी ,गुजरात केसरी आचार्य श्री भरत सागर जी महाराज ,विद्याभूषण आचार्य श्री सन्मति सागर जी महाराज सहित ओर भी अनेक महान आचार्य हुए हे

आर्यिका माताओं में
1.गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी
(चा.च.शा.परम्प)
दीक्षा1956
2.प्रथम गणिनी आर्यिका श्री विजयमति माताजी
(अंकलिकर परम्प)
दीक्षा 1962
3.गणिनी आर्यिका विशुद्धमति माताजी
(शा.छाणी परम्पर)
दीक्षा 1970

आदि आदि अनेक पूज्य गण जिनके अतिशय प्रभाव से वर्तमान में भारत की पावन भूमि पर 1500 से अधिक दिगम्बर जैन सन्त अहिंसा धर्म का डंका बजा रहे हे

*ऐसे महान दिगम्बर जैन धर्म के समस्त आचार्य,उपाध्याय व साधु परमेष्ठी भगवन्तो के चरणों में कोटि कोटि नमन*