ॐ नमः सिद्धेभ्योनमः

                      ॐ गुरुभ्योनमः

जैन धारा प्रवाह

                        भव्यो

जैन धर्म तथा क्षमा

जैन धर्म में सबसे पहला और महत्वपूर्ण गुण क्षमा हे

क्षमा भाव से ही जैन धर्म की शरुआत  होती हे क्षमा से ही  अखंडता  होती हे तथा इसका निखार आता हे
जब की
क्षमा के आभाव में या क्षमा से विपरीत ता क्रोद्ध के उत्पन से जीवन में जैन धर्म खंडित और धूंदला पन आ जाता

क्षमा भाव से ऊर्जा मिलती हे तथा अनेक विकारों को खत्म  कर के सु संस्कारो जन्म देता हे
जब की
क्रोद्ध बुद्धि को भ्रस्ट विवेक का नाश  तथा आत्म बल को खत्म कर देता हे
मित्रो
आज क्षमा सिर्फ और सिर्फ कागज़ के पंनो और  व्हाट्सप में ही रह गई हे यह तो एक समाचार  अादान  प्रदान का ज़रिया हे
क्षमा तो भावो में होनी चाहिए और बेहतर तो यह रूबरू आमने समने होनी

क्षमा वीरस्य  भूषणम

उत्तम क्षमा