🙏जिनागम सार🙏
केवली सात प्रकार के होते है
(1) *तीर्थंकर केवली* - समवशरण विभूति सहित
(2) *सामान्य केवली*- गंधकुटी में विराजमान केवली
(3) *अनुबद्ध केवली* -तीर्थंकर के निर्वाण होने पर केवलज्ञान की परम्परा में दिवश आदि का अंतराल ना होने पावे ऐसे केवली
(4) *उपसर्ग केवली* -उपसर्ग का निमित्त पाकर परिणामो की बिशुद्दी के द्वारा हुआ केवलज्ञान
(5) *मूक केवली* -केवलज्ञान होने के बाद भी जिनका उपदेश नही होता
(6) *अन्तःकृत केवली* - घोर उपसर्ग होने पर आयु समाप्ति के अन्तः मुहूर्त पहले केवलज्ञान की प्राप्ति
(7) *समुदघात केवली* -
आयु कर्म की स्थिति कम और तीन अघातिया कर्मो की स्थिति ज्यादा होने पर
समुद्घघात करना
यह प्रसंग द्रव्यसंग्रह की 45 गाथा की टीका में आया है

