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🎋 आ. शांतीसागरजी महाराजी अपने साधना काल में हरिजन मन्दिर प्रवेश आन्दोलन तथा संसद में "हिन्दू कोड बिल " के विरोध में लगभग तीन वर्षो कर अन्न त्याग कर महान आचार्य ने यह बता दिया कि भगवान महावीर का जिन धर्म
यद्यपि मानव मात्र का धर्म हैं फिर भी "🍀जैन धर्म 🍀 एक स्वतंत्र धर्म हैं | वह किसी धर्म की शााखा नहीं है | वह भारत के प्राचीनतम धर्मों में से एक ऐसा धर्म ह जिसके पास सन्त और श्रावक दोनों के आचरन की अपनी आचार संहिता एँ हैं और आराधना की अपनी परंपराएँ हैं |किसी अन्य को उन परम्परा ओ में हस्ताक्षेप करने की अनुमती नहीं दी जा सकती | किसी भी जैनेतर व्यक्ति ,संस्था या सत्ता को ऐसा करने की कोई अधिकार भी नहीं है |🎋
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