बात १९९२ या १९९३ की है_*
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*_संत शिरोमणी आचार्य भगवन १०८ श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ नैनागिर में विराजमान थे_*
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*_वैसे तीर्थक्षेत्रों पर भीड़ कम रहती है, परन्तु जहाँ स्वयम चलते फिरते तीरथ विराजमान हों वहाँ तो मेला लगा ही रहता है_*
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*_सुबह का समय था आचार्य भगवन ससंघ मंच पर आसीन थे और प्रवचन चल रहे थे_*
_सब लोग शांत होकर गुरु की अमृत वाणी सुन रहे थे, वही टेंट के खम्बे के पास एक छोटा सा छिद्र था उसमे एक सर्प छिपा हुआ आराम से आचार्य भगवन को देख रहा था, अचानक पास बैठे एक व्यक्ति की नजर उसपर गई और वो घबराकर उठ गया और चिल्लाने लगा सांप - सांप, उसे देखकर सब लोग उठकर खड़े हो गए और इधर उधर भागने लगे वो सर्प मंच के पास आया और जोर जोर से नृत्य करने लगा, वहाँ उपस्थित लोग आश्चर्य से देखने लगे ये क्या हो रहा है, आचार्य भगवन भी अपनी चिरपरिचित मुस्कान लिये उसे देख रहे थे, उस समय मोबाइल नही चलते थे तो कुछ कैमरे वाले लोग जो वहाँ आचार्य श्री के प्रवचन रिकॉर्ड कर रहे थे, वो अपने कैमरे से पूरी घटना रिकॉर्ड करने लगे, थोड़ी देर बाद उस सर्प ने आचार्य श्री को तीन बार जमीन पर फन रखकर नमोस्तू किया, आचार्य श्री ने उसे हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया ✋🏽और सबके सामने से वो सर्प अचानक से ही गायब हो गया वहाँ उपस्थित लोगों ने उसे बहुत ढूढ़ने की कोशिस की लेकिन कहीं नही मिला आचार्य श्री ने सबसे बैठने के लिये कहा_
*_सब लोग जयकारा लगाने लगे आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज की जय_*
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*_अभी और सुनिये _*
_वो सर्प तो चला गया, वहाँ तीन लोगों ने कैमरे से पूरी घटना रिकॉर्ड की थी जब उसकी रिकोर्डिंग देखी तो फिर से चमत्कार हुआ_
*_तीनों कैमरों में सब कुछ आया, आचार्य श्री ससंघ आये, वहाँ उपस्थित जितने लोग थे सब आये... लेकिन वो सर्प किसी भी कैमरे में कहीं भी नही दिखा_*
_बार बार रिपीट करके देखते रहे तीनों कैमरा वाले, पर वो कोई साधारण सर्प नही था वो तो देव थे जो आचार्य भगवन को सुनने उनके दर्शन करने सर्प का रूप रखकर धरती पर आये थे_
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*_ऐसे हैं मेरे गुरुवर जिनके दर्शन करने के लिये स्वर्ग से देवता भी किसी ना किसी रूप में आते रहते हैं_*
*_🏻जैनम् जयतू शासनम्🏻_*
*⛳जिनशासन जयवंत हो⛳*